फ्लॉप हुआ राहुल का मिशन साउथ और प्रियंका का चाय बाग़ान शो
तमिलनाडु को छोड़ चारों राज्यों में चारों ख़ाने चित्त हुई कांग्रेस
टिप्पणी : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 30 अप्रैल, 2021 (बीबीएन)। देश के पाँच महत्वपूर्ण राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम 2 मई को आने वाले हैं, परंतु उससे 72 घण्टे पहले आए EXIT POLL के निष्कर्षों ने कांग्रेस, उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी और दो दिग्गज नेताओं राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी वाड्रा की रणनीति की धज्जियाँ उड़ा दी हैं।
एग्ज़िट पोल में पाँच राज्यों में सबसे बड़े पश्चिम बंगाल में जहाँ कांग्रेस का नाम-ओ-निशान नहीं दिखाई दे रहा, वहीं कांग्रेस अपने गढ़ माने जाने वाले केरल तथा पुड्डुचेरी में भी सत्ता के आसपास भी नहीं दिखाई दे रही। असम में कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को चुनावी मुद्दा बनाया, जो उसी के गले की फाँस बनता लग रहा है। राहुल गांधी ने पाँच राज्यों में सबसे अधिक ध्यान केरल और पुड्डुचेरी में दिया, लेकिन उनका मिशन साउथ फेल रहा, वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा का असम में चाय बाग़ान शो भी फ्लॉप होता दिखाई दे रहा है। एकमात्र तमिलनाडु है, जहाँ कांग्रेस सत्ता में भागीदारी करने जा रही है और वह भी अखिल भारतीय द्रविड मुनेत्र कषगम् (AIDMK) की बैसाखी पर !
कांग्रेस के ने ये कैसे-कैसे गठबंधन किए ?
कांग्रेस ने पाँचों राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था, परंतु तमिलनाडु को छोड़ शेष चार राज्यों में उसका गठबंधन वैचारिक विरोधाभासों से भरा हुआ था। कांग्रेस ने असम में जहाँ एक ओर धर्मनिरपेक्षता के अपने मूल सिद्धांत के विपरीत जाकर मुस्लिम धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अज़मल के साथ गठबंधन किया, तो दूसरी ओर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) तथा तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विरुद्ध वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) तथा मुस्लिम धार्मिक स्थान फुरफुरा शरीफ के पीरज़ादा अब्बास सिद्दीकी के तथाकथित इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ मिल कर चुनाव लड़ा। बात जब केरल और पुड्डुचेरी की आई, तो पश्चिम बंगाल में वामपंथियों के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस ने केरल-पुड्डुचेरी में वामपंथी दल विरोधी राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन किया।
उल्टे-पुल्टे गठबंधन बने ठगबंधन
कुल मिला कर कांग्रेस तमिलनाडु को छोड़ कर चारों राज्यों में उल्टा-पुल्टा गठबंधन कर स्थानीय सत्तारूढ़ दल और भाजपा के विरुद्ध चुनाव मैदान में उतरी। कांग्रेस की इस विरोधाभासी गठबंधन वाली रणनीति उसके लिए ठगबंधन साबित हुई। यही कारण है कि कांग्रेस की अस्थिर विचारधारा पर लोगों को भरोसा नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल में तो समझ में आता है कि टीएमसी के गढ़ में भाजपा की बड़ी सेना के साथ सेंध लगाने की तैयारी के बीच कांग्रेस ही नहीं, लेफ्ट पार्टियाँ भी कहीं दिखाई नहीं दे रहीं, परंतु केरल और पुड्डुचेरी में कांग्रेस की दुर्दशा क्यों हुई ?
वायनाड के वीर की घर में दयनीय हालत
कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी लोकसभा सीट से संभावित हार को देखते हुए कांग्रेस के मज़बूत गढ़ माने जाने वाले केरल में वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे और वायनाड ने उन्हें जिताया भी, परंतु दिल्ली में दहाड़ने वाले वायनाड के इस वीर की कांग्रेस केरल में भी कोई क़रामात नहीं दिखा पा रही है। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस केरल में वामपंथियों के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रही थी, लेकिन एग्ज़िट पोल के अनुसार जनता ने फिर एक बार कांग्रेस की आशाओं पर पानी फेर दिया और वामपंथियों पर ही भरोसा जताया है।
पुड्डुचेरी में डीएमके के सहारे भी नहीं बच सकी सत्ता
तमिलनाडु में कांग्रेस के लिए बैसाखी बनने वाली डीएमके पुड्डुचेरी में कांग्रेस का सहारा न बन सकी। एग्ज़िट पोल की मानें, तो पुड्डुचेरी में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को सत्ता से हटाने में एनडीए गठबंधन सफल होता दिखाई दे रहा है, जिसमें भाजपा शामिल है। पुड्डुचेरी में कांग्रेस डीएमके के सहारे भी अपनी सत्ता को बचाने में सफल होती नहीं दिख रही है।
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