test

खाद्य तेलों

रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी

अहमदाबाद, 13 मई, 2021 (बीबीएन)। देश में मार्च-2020 से कोरोना वायरस संक्रमण से फैली महामारी कोविड 19 के बाद खाद्य तेलों (edible oils price) के दामों में दो गुना तक वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से अनलॉक और पुन: मिनी लॉकडाउन आदि कड़े नियंत्रणों से परेशान आम जनता की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है, वहीं खाने के तेल में लगातार वृद्धि ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।

पूरे देश में लगभग चौदह महीनों से खाद्य तेलों के दामों में लगातार हो रही वृद्धि के बाद अब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार एक्शन में आ गई है। यद्यपि खाद्य तेलों के दामों में वृद्धि का कारण भी कोरोना महामारी ही है। भारत में ज़्यादातर खाद्य तेल अन्य देशों से आयात किए जाते हैं, परंतु कोरोना की विभिन्न गाइडलाइन्स के चलते आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसी कारण देश में जहाँ एक ओर लॉकडाउन के दौरान खाद्य तेलों की मांग में वृद्धि हुई, वहीं कोरोना महामारी से आयात प्रभावित होने के कारण खाद्य तेलों की कमी पैदा हुई और इसी कारण दाम में लगभग दो गुना वृद्धि हुई है।

कोरोना महामारी के बीच गृहिणियों के लिए अब मोदी सरकार की ओर से एक अच्छी ख़बर आई है। केन्द्र सरकार ने एक ख़ास एक्शन प्लान बनाया है, जिसके चलते शीघ्र ही खाद्य तेलों की आसमान छूती क़ीमतों में गिरावट आने की संभावना है।

मोदी सरकार के स्पेशल प्लान बनाया के अंतर्गत कोविड गाइडलाइन्स के चलते बंदरगाहों विशेषकर गुजरात के कंडला एवं मुंद्रा बंदरगाहों पर फँसा आयातित खाद्य के स्टॉक को जारी करने को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया में तेज़ी लाई जाएगी। सरकार को आशा है कि बंदरगाहों से खाद्य तेल देश में थोक एवं खुदरा बाज़ारों में आते ही क़ीमतों में गिरावट आ सकती है।

खाद्य तेल उद्योग ने हाल ही में सरकार के समक्ष अपनी समस्या व्यक्त की थी कि कोविड 19 स्थिति के मद्देनज़र सामान्य जोखिम विश्लेषण के रूप में विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए जा रहे परीक्षणों से संबंधित मंज़ूरी में देरी हो रही है। इस कारण गुजरात के कंडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक फँसा हुआ है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के साथ मिल कर तेल उद्योग एवं आयातित तेल को बाज़ार तक लाने में आ रही समस्या का समाधान कर लिया गया है। जैसे ही यह स्टॉक बाज़ार में जारी होगा, हमें खाद्य तेलों के दाम में गिरावट के रूप में इसका असर दिखाई देने की आशा है।

सरकारी आँकड़ों के अनुसार खाद्य तेलों की खुदरा क़ीमतों में पिछले एक साल में 55।55 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पहले ही कोविड-19 महामारी से उत्पन्न संकट का सामना कर रहे उपभोक्ताओं की परेशानी खाने के तेलों के दाम बढ़ने से और बढ़ गई है।

गुजरात में पड़ा भंडार, फिर भी महंगाई की मार

कंडला


केन्द्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे के अनुसार विदेशों से आयातित खाद्य तेलों का बड़ा भंडार गुजरात में कच्छ स्थित कंडला एवं मुंद्रा बंदरगाहों पर आकर पड़ा है, परंतु कोरोना गाइडलाइन, विभिन्न नियंत्रणों और जोखिमों के चलते बंदरगाहों पर पड़ा तेल गुजरात सहित देश के बाज़ारों में नहीं पहुँच पा रहा है, परंतु अब सरकार के बनाए विशेष प्लान के चलते शीघ्र ही खाद्य तेल देश के थोक एवं खुदरा बाज़ार में पहुँचेगा और एक साल से चढ़ी हुई खाद्य तेलों की धार नीचे उतरेगी।

उल्लेखनीय है कि गुजराती लोगों का खाने-पीने का शौक़ीन माना जाता है। पिछले वर्ष जब लॉकडाउन के दौरान जब पूरे देश में लोगों को मुश्किलों का सामना करते हुए देखा गया, उस समय भी गुजरात में घर-घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जा रहे थे, जिनमें अधिकांश व्यंजनों में खाद्य तेलों का उपयोग होता है।

पिछले वर्ष लॉकडाउन से पहले गुजरात में विभिन्न खाद्य तेलों के 15 किलो/15 लीटर डिब्बे के खुदरा दाम 1700 से 2000 रुपए के बीच थे, जबकि एक वर्ष में इन दामों में दुगुनी वृद्धि हुई है। आज गुजरात में खाद्य तेलों के दाम 15 किलो/15 लीटर डिब्बे के खुदरा दाम 2300 से लेकर 3000 रुपए तक हो गई है। अब चूँकि सरकार एक्शन में आई है, तो आशा है कि गृहिणियों को तेल की महंगाई की मुसीबत से शीघ्र राहत मिलेगी।

गुजरात में खाद्य तेलों की सर्वाधिक खपत

एक अनुमान के अनुसार गुजरात में खाद्य तेलों की सर्वाधिक खपत होती है। गुजरात में मुख्य रूप से मूंगफली तेल, कपासिया तेल (कॉटनसीड ऑइल) तथा पाम तेल (पामोलीन तेल) का उपयोग होता है। गुजरात में प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। गुजरात का प्रत्येक नागरिक वर्ष में 26 किलो खाद्य तेल का उपयोग करता है, जो देश के औसत 13 किलो से दुगुना है।

Post a Comment

Previous Post Next Post