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गुजरात में तबलीग़ियों ने जंगल की आग की तरह फैलाया CORONA

सरकार ने ढूँढ कर टेस्ट किए, जिससे अहमदाबाद में कोविड 19 के केस बढ़े

अहमदाबाद (29 मई, 2020)। गुजरात पिछले तीन महीनों से वैश्विक महामारी कोविड 19 से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित समग्र शासन-प्रशासन के लिए कोरोना संक्रमितों का बढ़ता ग्राफ चिंता का कारण बना हुआ है और रूपाणी पिछले एक माह में बीसियों बार यह आरोप लगा चुके हैं कि गुजरात में विशेषकर अहमदाबाद को कोरोना हॉटस्पॉट बनाने में तबलीग़ी जमात के लोगों का सबसे बड़ा योगदान है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कई मीडिया समूहों को दिए साक्षात्कारों में खुल कर यह बात कही कि दिल्ली मरकज़ से लौटे तबलीग़ी जमात के लोगों के कारण गुजरात में कोरोना संक्रमण तीव्रता से फैला। रूपाणी ने आज फिर एक बार इस आरोप को अधिक बलपूर्ण शब्दों के साथ दोहराया कि गुजरात में मरकज़ से लौटे तबलीग़ी जमात के लोगों ने जंगल में आग की तरह कोरोना फैलाया।
एक मीडिया समूह को दिए इस ताज़ा इंटरव्यू में जब पत्रकार ने पूछा, ‘मुस्लिम समुदाय यह फील कर रहा है कि तबलीग़ी जमात के मुद्दे का उपयोग उन्हें टारगेट करने के लिए किया जा रहा है’, तो मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने जवाब देते हुए कहा, ‘ऐसा दिल्ली मरकज़ में भाग लेने वाले तबलीग़ी जमात के लोगों के गुजरात में प्रवेश करने के बाद हुआ, क्योंकि इससे गुजरात में कोरोना जंगल की आग की तरह फैल गया।’
रूपाणी यहीं नहीं रुके, उन्होंने प्रश्नकर्ता पत्रकार से कहा, ‘गुजरात में कोविड 19 के प्रवेश के दिन से ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य समाज को इससे बचाना था, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। मैं आपको पुन: स्मरण कराना चाहता हूँ कि दिल्ली मरकज़ में भाग लेने वाले तबलीग़ियों के गुजरात में प्रवेश से पहले तक कोविड 19 के मामले तेज़ी से नहीं बढ़ रहे थे।’
विजय रूपाणी ने आगे कहा, ‘जब तबलीग़ियों ने गुजरात में प्रवेश किया, तब से गुजरात में कोरोना संक्रमण के मामले जंगल की आग की तरह फैल गए। इसका प्रमाण है डाटा, जिससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि गुजरात में तबलीग़ियों के आने के बाद विशेषकर अहमदाबाद में कोविड 19 के केस तीव्रता से बढ़े। हमने तबलीग़ियों को ढूँढ-ढूँढ कर उनका टेस्ट किया। बड़ी संख्या में तबलीग़ी जमातियों ने प्रशासन के साथ सहयोग नहीं किया, अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई, जिसके कारण हमें उनके विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई करनी पड़ी।’

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