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370 के अंत से पूरा किया ‘मिशन कश्मीर’

CAA से दी पड़ोसी अल्पसंख्यकों को संजीवनी

NCR को बनाया घुसपैठियों के लिए वज्राघात

SC में किया राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त

LOCKDOWN से रोका CORONA संक्रमण

PAKISTAN पस्त, CHINA भी घुटनों के बल आया

विशेष टिप्पणी : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद (30 मई, 2020)। भव्य भारत न्यूज़ (BBN) ने अभी 4 दिन पूर्व ही नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 6 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में धाराप्रवाह विश्लेषण किया था। 26 मई, 2014 को पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने मोदी के कार्यकाल के 6 वर्ष गत मंगलवार को पूर्ण हुए थे। आज फिर एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि 2014 में पाँच वर्ष के लिए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नरेन्द्र मोदी को देश की जनता ने 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में चुना और आज उस घटना को 1 वर्ष पूर्ण हुआ है।
जी हाँ ! नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी-BJP) को 2014 की तुलना में अधिक भारी बहुमत के साथ विजय प्राप्त की थी और 30 मई, 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। मोदी सरकार के इस दूसरे कार्यकाल को लोग बॉलीवुड फिल्म 2.0 की तर्ज़ पर ‘मोदी 2.0’ भी कहते हैं।
बीबीएन भी नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को ‘मोदी 2.0’ ही लिख रहा है, जिसके अनुसार मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने आज यानी शनिवार को पूरे 366 दिन हो चुके हैं। वैसे वर्ष में 365 दिन ही होते हैं, परंतु इस वर्ष फरवरी महीना 29 दिनों का था। इन 366 दिनों में मोदी ने जहाँ एक ओर देश को एक सशक्त व सुदृढ़ नेतृत्व प्रदान किया, वहीं शत्रु पड़ोसियों से लेकर विदेशी मित्रों के बीच स्वयं को धाकड़ नेता सिद्ध किया।
मोदी 2.0 का एक वर्ष मुख्य रूप से ‘धारा, धर्म एवं धधक’ का त्रिवेणी संगम सिद्ध हुआ है। यहाँ धारा से तात्पर्य है 370, धर्म से तात्पर्य है राम मंदिर और धधक से तात्पर्य है नेपाल, पाकिस्तान से लेकर चीन तक को झुलसाना एवं अमेरिका सहित पूरे विश्व में भारत की धाक जमाना। एक वर्ष में मोदी सरकार ने कई कार्यों को परिणाम तक पहुँचाया, परंतु मुख्यत: ये तीन विषय ही छाए रहे।

महारथी मोदी, साहसी शाह और अकल्पनीय निर्णय

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 मई, 2019 को दूसरी बार देश की कमान संभाली, तब 130 करोड़ भारतीयों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि 67 दिन बाद भारत के मस्तक जम्मू-कश्मीर पर लगा अनुच्छेद 370 सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। मोदी ने वैसे पहले ही कार्यकाल में ‘मिशन कश्मीर’ आरंभ कर दिया था, परंतु इसकी भनक न तो मोदी विरोधियों, कांग्रेस सहित विपक्षी राजनीतिक दलों को थी और न ही जम्मू-कश्मीर को जागीर समझ बैठे राजनीतिक दलों व अलगाववादियों को थी।
जम्मू-कश्मीर विशेषकर घाटी को आतंकवादियों से मुक्त कराने के लिए 2016 में आरंभ किया गया ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ मोदी के ‘मिशन कश्मीर’ का हिस्सा था। इस अभियान से जब कश्मीर घाटी में आतंकियों की कमर टूटती गई, तब प्रधानमंत्री ने दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्रालय (MHA) सौंपा अपने विशेष विश्वसनीय सहयोगी अमित शाह को।
और अमित शाह ने गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के पहले ही दिन से मोदी के ‘मिशन कश्मीर’ को परिणाम तक पहुँचाने का अभियान प्रारंभ कर दिया। महारथी मोदी के नेतृत्व में शाह ने ‘मिशन कश्मीर’ पर इस प्रकार काम किया कि कश्मीरी नेताओं और अलगाववादियों में अभूतपूर्व भय का वातावरण पैदा हुआ। अंतत: अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक प्रस्तुत कर इतिहास रच दिया।
इस विधेयक के अंतर्गत मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले तथा वास्तव में जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में सबसे बड़े अवरोध समान अनुच्छेद 370 को समाप्त कर ने की घोषणा कर दी। यह अमित शाह की कुशल राजनीतिक सूझ-बूझ का ही परिणाम थी कि अनुच्छेद 370 को हटाने एवं जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख नामक केन्द्र शासित प्रदेश के गठन के ऐतिहासिक निर्णय से जुड़ा विधेयक पहले संसद के उस सदन में लाया गया, जहाँ मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं था और इसके बावज़ूद राज्यसभा में यह विधेयक पारित हो गया। इस प्रकार मोदी 2.0 में अमित शाह एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरे।
गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक मिशन यानी ‘मिशन कश्मीर’ तो पूरा किया ही, उसके बाद भी मोदी 2.0 के अनेक निर्णय अमित शाह व उनके मंत्रालय से जुड़े हुए रहे, जिनमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (The Citizenship (Amendment) Act, 2019 अर्थात् CAA एवं राष्ट्रीय नागरिकता पंजिका (National Register of Citizens) अर्थात् NRC शामिल हैं।
मोदी सरकार का सीएए शुद्ध रूप से उन लोगों के हितों के लिए था, जो पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक होने के कारण अत्याचार भुगत रहे हैं। भारत के अधिकांश पड़ोसी देश मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। विशेष रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफग़ानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारत में आश्रय देने का प्रावधान करने वाले सीएए को लेकर विपक्षी दलों ने भ्रम फैलाया।
सीएए को भारतीय मुस्लिमों के विरुद्ध बताया, परंतु मोदी और शाह अडिग रहे। इसी प्रकार एनआरसी का उद्देश्य भारत में अवैध रूप से रहने वालों एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों पर वार करना था। इसका भी विपक्षी दलों ने विरोध किया, परंतु मोदी-शाह अविचल रहे।
मोदी 2.0 के दौरान ही 450 वर्ष पुराने राम मंदिर विवाद का सुखद् समाधान हो गया। देश के सर्वोच्च न्यायालय (SUPREME COURT) यानी SC से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करवाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी व्यक्तित आस्था, उनकी सरकार तथा उनकी पार्टी यानी भाजपा की प्रतिबद्धता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दो धर्मों एवं अदालतों के बीच अटके इस मामले में पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था को महत्व नहीं दिया, परंतु मोदी सरकार ने ऐतिहासिक तथ्यों को आधार बना कर विश्व के 150 करोड़ हिन्दुओं की आस्था की रक्षा की और सुप्रीम कोर्ट में बार-बार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का पक्ष लिया। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्णत: संवैधानिक रूप से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का निर्णय सुनाया।

अंतिम तिमाही और तिहरी चुनौती पर भारी मोदी का संकल्प

मोदी 2.0 को यदि तिमाहियों में बाँटा जाए, तो 29 फरवरी से 30 मई की अंतिम तिमाही तिहरी चुनौतियाँ लेकर आई। समूचे विश्व में विनाशक बनी कोरोना संक्रमण से फैली महामारी कोविड 19 का पहला मामला 1 मार्च को भारत में केरल से दाखिल हुआ और देखते ही देखते इसने विकराल रूप धारण कर लिया।
अमेरिका-रूस सहित विश्व के शक्तिशाली देश जहाँ चीन से निकले कोरोना वायरस से फैली महामारी से किंकर्तव्यविमूढ़ थे, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों को प्राणघातक कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया, जिसके चलते इतनी घनी जनसंख्या वाला देश होने के पश्चात् भी भारत आज कोरोना संक्रमण के मामलों एवं मौतों में विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है।
कोरोना संकट के बीच ही मोदी 2.0 की इस अंतिम तिमाही में जहाँ एक ओर पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) एवं कश्मीर में गड़गड़ियाँ की जाती रहीं, वहीं अचानक चीन बड़ी चुनौती के रूप में उभरा। चीन की शह पर छोटे-से देश नेपाल ने भी भारत की ओर आँखें उठा कर देखने का दुस्साहस किया, परंतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घातक कूटनीति के आगे जहाँ पाकिस्तान पहले ही पस्त था, वहीं अंतिम तिमाही में सिर उठाने वाले चीन के अहंकार को मोदी ने अपने अडिग इरादों के कारण चूर-चूर कर दिया। रही बात नेपाल की, तो वह भी भारतीय क्षेत्रों को अपने मानचित्र में दिखाने के बाद अपने ही घर में घिरा हुआ है।

बीबीएन की मोदी को शुभकामनाएँ

कुल मिला कर देखा जाए, तो मोदी 2.0 अर्थात् मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष राष्ट्र धर्म एवं राज धर्म की कसौटियों पर सोलह आने ख़रा उतरा है। देश में चहुँओर शांति रही। साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल रहा। विरोधियों की हर चाल पर मोदी की ढाल भारी रही। ऐसे में भव्य भारत न्यूज़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी समूची सरकार को अगले वर्ष ही नहीं, अपितु अगले 4 वर्षों में और सफलतापूर्वक कार्य करने की शुभकामनाएँ देता है।

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