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 CoronaVaccine


जहाँ हुआ टीकाकरण, वहाँ थमा CORONA संक्रमण

बाँह का ‘निशान’ ही बचाएगा की ‘जानलेवा बाँह’ से

कन्हैया कोष्टी

अहमदाबाद, 24 अप्रैल, 2021 (बीबीएन)। कोरोना की दस्तक के साथ ही समूचा देश पुकार-पुकार कर ‘टीका, वैक्सीन’ मांग रहा था और एक साल की कड़ी तपस्या के बाद वैज्ञानिकों ने जब कोरोना विरोधी टीका तैयार कर लिया और सरकार ने टीकाकरण अभियान प्रारंभ कर दिया, तो टीके की प्रतीक्षा कर रहे लोग टीका लेने को लेकर उत्साहित नहीं दिखाई दे रहे।

आज देश में टीकाकरण अभियान को प्रोत्साहन देने के सरकार के प्रयासों में आम लोगों की कोई विशेष भागीदारी नहीं देखी जा रही। उल्टे लोग सरकार को कोरोना के बदले रूप एवं बढ़े संक्रमण के कारण उत्पन्न हुई आपातकालीन स्थिति के लिए कोसने में लगे हुए हैं।

यह सही है कि कोरोना के नए संक्रमण ने देश के समक्ष नई चुनौतियाँ तथा आवश्यकताएँ पैदा की हैं और उनसे निपटने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारें दिन-रात लगी हुई भी हैं, परंतु अचानक बाढ़ की तरह आई कोरोना की नई लहर को रोकने के इस काम में देश के स्वस्थ नागरिक बड़ी मदद कर सकते हैं।

स्वस्थ नागरिकों में उदासीनता क्यों ?

अद्यतन आँकड़ों के अनुसार देश में शुक्रवार रात 12.00 बजे तक सक्रिय कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 करोड़ 65 लाख 82 हज़ार 740 है। इसका अर्थ यह हुआ कि देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ में से लगभग 128 करोड़ नागरिक स्वस्थ हैं। जब देश में कोरोना विरोधी वैक्सीन आ चुकी है, तब प्रश्न यह उठता है कि स्वस्थ लोग टीका लगवाने के प्रति उदासीन क्यों हैं ?

‘टीका’ करना अधिकार, तो लेना कर्तव्य क्यों नहीं ?

सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग इन दिनों देश के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीन और वेंटिलेटर की कमी सहित कई प्रकार की अव्यवस्थाओं तथा त्रुटियों को लेकर बड़ी-बड़ी, भारी शब्दों में और आलोचनाओं-गालियों से भरी ‘टीका’ कर रहे हैं। लोकतंत्र में किसी शासन तथा प्रशासन की टीका, आलोचना तथा निंदा करना हर नागरिक को अधिकार है, परंतु देश के इन 128 करोड़ स्वस्थ नागरिकों का यह भी कर्तव्य है कि वे केवल कमियों की ‘टीका’ न करें, कोरोना विरोधी टीका भी लें। हो सकता है कोई सरकार या प्रशासन अपने कर्तव्य पालन में लापरवाही बरत रहा हो, परंतु स्वस्थ नागरिक भी यह सोचें कि टीका लगवाने के अपने कर्तव्य को वे कितना निभा रहे हैं ?

सोशल मीडिया पर पहला प्रश्न पूछिए, ‘टीका लगवाया ?’

सोशल मीडिया पर शासन-प्रशासन की पोल खोलने में जुटे हर व्यक्ति से यह प्रश्न भी पूछा जाना चाहिए, “यदि आपकी आयु 45 वर्ष या उससे अधिक है, तो क्या आप कोरोना वैक्सीन ले चुके हैं ?” मेरा मानना है कि योग्य नागरिकों ने यदि वैक्सीन नहीं ली है, तो उन्हें सरकारों को कोसने के अपने अधिकार का उपयोग करने से पहले वैक्सीन लेनी चाहिए। देश में कोरोना मरीज़ 1.65 करोड़ हैं, परंतु शेष 128 करोड़ से अधिक नागरिक तो वैक्सीन लेकर स्वयं पर, अपने परिवार पर, सरकारों पर और अंतत: राष्ट्र पर उपकार कर सकते हैं।

चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें, तो विश्व के जिन-जिन देशों में टीकाकरण अधिक प्रमाण में हुआ है, वहाँ कोरोना संक्रमण की दर तेज़ी से घटी है। ब्रिटेन और इज़राइल जैसे देश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। ऐसे में भारत के हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि वह अपनी बाँह पर टीके का निशान लगाए और देश को कोरोना संक्रमण की जानलेवा बाँह से बचाने में सहयोग करे।

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