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आलस्य त्यागें और महान भारतीय आयुर्वेद अपनाएँ

आयुर्वेद की सहायता से कोरोना को किस प्रकार दूर रख सकते हैं ? किस प्रकार पराजित कर सकते हैं ? गुजरात में भावनगर स्थित वैद्य महेन्द्रसिंह सरवैया के पास हैं इन प्रश्नों के उत्तर। वैद्य महेन्द्रसिंह सरवैया ने महान भारतीय आयुर्वेद उपचार पद्धति से केवल 7 दिनों में 213 कोरोना पॉज़िटिव मामलों में से 203 को नेगेटिव कर दिया। उन्होंने 130 करोड़ भारतीयों को आलस्य त्याग कर महान भारतीय आयुर्वेद को अपनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक उपचार पद्धति आधुनिक युग में कई लोगों को झंझट लगती है, परंतु यदि कोरोना जैसे प्राणघातक रोग से बचना है, तो यह मंत्र अपनाना होगा, ‘मौत के झंझावत से भली जीवनदायक झंझट…’।

आलेख : रमेश तन्ना, हिन्दी अनुवाद : राजेन्द्र निगम
अहमदाबाद (19 मई, 2020)। लॉकडाउन 4.0 प्रारंभ हो गया है, परंतु कोरोना (CORONA) वायरस विदाई का नाम ही नहीं ले रहा है। अब जब हमें कोरोना के साथ रहने की आदत विकसित करनी है, तो हमें एलोपैथी पर निर्भर न रहते हुए हमारी सदियों प्राचीन-पुरातन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ओर लौटना होगा। हमें जानना होगा कि आयुर्वेद की सहायता से कोरोना का सामना कैसे किया जा सकता है ?
वैद्य महेन्द्रसिंह वनराजसिंह सरवैया इसके लिए कुछ TIPS दे रहे हैं। वैद्य सरवैया गुजरात में भावनगर की तळाजा तहसील के दिहोर गाँव में एक आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी हैं। उनकी विशेषता है कि उन्होंने आयुर्वेद से कोरोना विरोधी युद्ध में विजय पाई है, क्योंकि वे अहमदाबाद में समरस हॉस्टल में भर्ती 213 कोरोना पॉज़िटिव रोगियों को नेगेटिव करने में सफल रहे हैं।
वास्तव में डॉ. सरवैया ने कोरोना के रामबाण उपचार के लिए एक आयुर्वेदिक चक्रव्यूह का निर्माण किया है। यदि स्वस्थ व्यक्ति इस चक्रव्यूह को अपना ले, तो कोरोना उसे भेद नहीं सकता और यदि कोरोना संक्रमित इस चक्रव्यूह के दायरे में आ जाए, तो कोरोना इस चक्रव्यूह में दम तोड़ देता है।

कोरोना से मृत्यु का कारण निमोनिया ज्वर

वैद्यराज महेन्द्रसिंह सरवैया कोरोना से परिचित हो गए हैं। उनका कहना है कि कोविड 19 (COVID 19) महामारी के बाद वर्तमान समाज को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है : 1. जिन्हें कोरोना नहीं हुआ है, 2. जो संदिग्ध हैं और 3. जो कोरोना पॉज़िटिव हैं। उन्होंने यहाँ कुछ ऐसी टिप्स दी हैं, जो तीनों प्रकार के लोगों के लिए उपयोगी हैं।
वैद्य सरवैया कहते हैं कि कोरोना में मृत्यु का कारण निमोनिया (ज्वर) बुख़ार होता है। फेफड़ों में कफ जम जाता है। कोरोना संक्रमित वातावरण में हम सबको खाँसी के प्रति सावधान रहना होगा। शरीर में कफ न हो, इसका सबको विशेष ध्यान रखना है। सरवैया ने बचाव के लिए उठाए जाने वाले तीन कदम बताए हैं। वे कहते हैं कि हमें वायु (हवा), जल (पानी) और आहार (भोजन) के प्रति ध्यान देना होगा।

प्राणायाम, नास व धूपबत्ती का चक्रव्यूह

सबसे पहले बात करते हैं हवा अर्थात वायु की। प्रत्येक व्यक्ति को तीन-चार महीने बिना भूले अगले प्रतिदिन सुबह और शाम एक-एक घंटे प्राणायाम करना चाहिए। विशेष रूप से अनुलोम-विलोम करना चाहिए। यह एक गहरी साँस का योग है। नाक के एक ओर से गहरी साँस लें (उस समय पास के भाग को बंद रखें) और दूसरी ओर से साँस छोड़ें। यह अभ्यास बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
वायु के अंतर्गत ही दूसरा मुद्दा है भाप (नास) लेना। गर्म पानी में अजवाइन-अदरक के पाउडर को डालें और फिर 10-15 मिनट तक उसकी भाप नाक से खींचें। भाप लेने के लिए के लिए तौलिया या दुपट्टा जैसे किसी कपड़े से सिर को ढँक लेना चाहिए। प्रतिदिन सुबह और शाम 10-15 मिनट नाक से भाप लेना है।
नहीं, वर्तमान में लापरवाही नहीं करना है। लापरवाही आप भविष्य में कर लेना और उसके लिए आज जीना आवश्यक है। यदि कोरोना हमारी श्वास नली में चला गया, तो हमें उसे फेफड़ों में जाने से रोकना होगा, परंतु यदि कोरोना पेट में गया, तो किस्सा ख़त्म। इसलिए किस्से को ख़त्म होने से रोकने के लिए नास लेते रहें।
वायु के अंतर्गत तीसरा महत्वपूर्ण कार्य है धूपबत्ती का। घर में गूगल-नीम, कपूर, देसी गाय का घी, जो भी मिले, उनमें से तीनों की धूप सुबह-शाम करें। (चरकसंहिता ज्वर चिकित्सा के अनुसार पलंकषादि धूप का भी उपयोग किया जा सकता है।) तो वायु की बात समाप्त हुई।

गर्म को गले लगाएँ, ठंड को ठेंगा दिखाएँ

अब बात करते हैं जल यानी पानी की। केरल राज्य की सफलता का रहस्य है गर्म पानी। उन लोगों ने कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों को लगातार गर्म पानी पिलाया। आयुर्वेद-चरकसंहिता में विमान-स्थान के अध्याय तीन में महामारी (Pandemic) की मुख्य चिकित्सा गर्म पानी को ही बतलाया गया है।
जिन लोगों को सर्दी-खाँसी हो, उन्हें 1 से 2 ग्राम सौंठ मिश्रित 500 मिलीलीटर गर्म पानी पूरे दिन पीना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य लोगों को भी गर्मी के दिनों में प्रतिदिन 3-4 बार सौंठ मिश्रित गर्म पानी पीना चाहिए।
अब बात करते हैं आहार-भोजन यानी खाने-पीने की। कच्चा दूध, किसी भी प्रकार का दही, ठंडे पेय, मिठाइयाँ, पचन में कठिन गरिष्ठ भोजन, बेकरी की बनी वस्तुएँ, मैदे से बने स्वादिष्ट व्यंजन… इन सबका पूरी तरह से त्याग करना होगा, संयम रखना होगा। गर्मी का मौसम है, परंतु कोरोना से बचना है तो समर-2020 में फ्रिज के पानी को त्याग दें।
यदि आप इस वर्ष फ्रिज का पानी नहीं पिएँगे, तो मर नहीं जाएँगे, परंतु अगर कोरोना हो गया तो …? इसलिए सावधान रहें। एक बार कोरोना अलविदा हो जाए, फिर आप जो खाना चाहें, खाएँ, परंतु इस समय तो संयम, नियंत्रण व निषेध ही कोरोना से बचा सकते हैं।
चाय पिएँ या नहीं ? न पिएँ, तो बेहतर है। विकल्प है हर्बल चाय। अब तो बाज़ार में भी अच्छी हर्बल चाय उपलब्ध है। हालांकि, सरवैयाजी कहते हैं कि सुबह चाय के विकल्प के रूप में निम्नलिखित काढ़े को पीना चाहिए।

एक व्यक्ति के लिए काढ़ा बनाने की विधि

एक कप पानी, चार चुटकी गिलोय (नीम की उत्तम-अमृता) का पाउडर, चार चुटकी हल्दी का पाउडर, चार पत्ते तुलसी के, एक से दो चुटकी सौंठ… इन सबको मिला कर 25 प्रतिशत पानी कम होने तक उबालें। प्रतिदिन यह काढ़ा बनाएँ और सुबह खाली पेट पिएँ। यह रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) को बढ़ाने में बहुत सहायता करेगा।
वैद्य महेन्द्रसिंह सरवैया कहते हैं कि जिन लोगों को सर्दी-खांसी आदि की परेशानी हो, उन्हें मूँग-मोठ-सहजन (सूरजना-) और कलथी का सूप पीना चाहिए।
प्रतिदिन सुबह, बच्चों को गिलोय, युवाओं को आमला और वृद्धों को रसायन चूर्ण (गिलोय-गोखरू-आमला) लेना चाहिए। जिन्हें कोई लक्षण नहीं है, उन्हें शाम को देशी गाय का दूध, हल्दी और सौंठ को इलायची के साथ लेना चाहिए। और कोरोना से मुक्त होने पर 3 महीने यह उपाय उम्र के अनुसार अवश्य करना चाहिए।

नाक छिद्र पर लगाएँ इन वस्तुओं का पहरा

इसके अलावा, देसी गुड़ और अदरक की चटनी बनानी चाहिए। दोपहर में इसे लें। (चरकसंहिता में सर्दी, खांसी, कफ, सांस की तकलीफ आदि के इलाज के लिए शोथ चिकित्सा के अंतर्गत इसका उल्लेख किया गया है। गुड़ व अदरक)।
चूंकि यह वायरस नाक के माध्यम से फैलता है, इसलिए दिन में दो- तीन बार गाय का घी या अरंडी के तेल की दो- तीन बूँदें उसमें डालना चाहिए।
सरवैयाजी कहते हैं कि रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए आहार-पानी का अमृतीकरण किया जाना चाहिए। अर्थात पानी को खाएँ और आहार को पिएँ। लार के साथ पानी को मिलाकर, घूंट-घूंट कर अमृत की तरह पिएँ। एक कौर को कम से कम 32 बार चबाएँ।

तीन P हैं पैंडेमिक कोरोना का काल

वैद्यराजजी का कहना है कि हमारे प्राण को मजबूत करने व बचाने के लिए, प्राण-शक्ति को संवर्द्धित करने हेतु, हमें तीन प अर्थात P का ध्यान रखना चाहिए।
  1. प्रार्थना : प्रतिदिन प्रात:काल व संध्याकाल सपरिवार प्रार्थना करें, ‘सर्व भवन्तु सुखीनां’
  2. प्राणायाम करें।
  3. पेय अर्थात् अमृत पेय पिएँ (काढ़ा पिएँ)
गुजरात के प्रमुख क्षेत्रीय गुजराती न्यूज़ चैनल टीवी 9 गुजराती के पत्रकार-एंकर जयेश पारकर भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। पारकर आयुर्वेद के इसी चक्रव्यूह में पहुँच गए, जहाँ कोरोना ने दम तोड़ से बच गए। कोरोनामुक्त जयेश पारकर नेएक साक्षात्कार में उन्हों विशेष रूप से वैदयराज महेन्द्रसिंह सरवैयाजी के प्रति आभार व्यक्त किया था। पारकर ही नहीं, अपितु सैकड़ों कोरोना रोगी वैद्यराज सरवैया को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि उन्होंने हमें बचा लिया।

सरवैया ने इन्हें दिया अपनी सफलता का श्रेय

वैद्य महेन्द्रसिंह सरवैया अपनी इस सफलता के लिए भगवान अश्विनी कुमार, धनवंतरी भगवान, अपन गुरु, परिवार, आयुर्वेद के वैद्य, गुजरात सरकार के आयुर्वेद के दल और रोगी-नारायण के हार्दिक आशीर्वाद और हृदय की प्रार्थनाओं को प्रेरक मानते हैं।
ऊपर जो बातें लिखी हैं और सरवैयाजी ने जो टिप्स दी हैं, उन पर अमल किया जाना चाहिए। एक बात हमें ध्यान में रखनी है कि वर्तमान काल बहुत, बहुत, बहुत जोखिम-भरा है। कोरोना पॉज़िटिव मरीजों से अस्पताल भरे हुए हैं। डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ भी इलाज करते-करते बीमार हो रहे हैं और वे इलाज से थक चुके हैं। निजी अस्पताल 8-9 लाख रुपए ले रहे हैं।
वैसे एलोपैथी में कोई इलाज तो है ही नहीं। इसमें केवल प्रयोग किए जाते हैं। जिसकी ज्यादा रोग-प्रतिकारक शक्ति होती है वह लड़ाई जीतता है। तो भले ही आप ऊब गए हों, या यह पसंद नहीं है, यह अच्छा नहीं लगता है, परंतु फिर भी आपको यहाँ जो लिखा है, वही करना होगा, करना ही होगा। इसका केवल एक ही कारण है, ‘जान होगी, तो ही जहान रहेगा’। बरसात से पहले पाल बांधना होगी। बीमार होना ही नहीं है।

सावधानी हटेगी, तो दुर्घटना घटेगी !

कोरोना वायरस को शरीर में प्रवेश ही नहीं करने देना है। संकल्प करना है और संयम के द्वारा संकल्प का पालन करना है। चिलचिलाती धूप है और हमने अपने शरीर को ठंडे पानी, शीतल पेय, आइसक्रीम, बर्फ के गोलों के उपयोग की बुरी आदतों से बर्बाद कर रखा है। इसलिए यह शरीर ज़ल्दी नहीं मानेगा, परंतु यही शरीर जब कोरोना संक्रमित हो जाएगा, तो चीखेगा भी। इसलिए समय पर निश्चित ही चेत जाएँ।
हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास आयुर्वेद है। आज इसके श्रेष्ठ उपयोग करने का वक्त है। इसका उपयोग करें और कोरोना से बचें तथा हमारे तन व मन को स्वस्थ रखें। जहाँ आवश्यक हो, वहाँ हमारे निकटस्थ आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्यराजों से परामर्श लें। आप इस संबंध में वैद्य महेन्द्रसिंह सरवैया (तळाजा, भावनगर) से 9824871648 पर संपर्क कर सकते हैं। कृपया रात्रि 8 से 8:30 बजे के दौरान ही संपर्क करें।

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